*स्वामी विवेकानंद*
विश्वनाथ दत्त जी के घर बेटा बनकर वह आया।
माता भुवनेश्वरी देवी थी जन्म नाम था नरेंद्र धराया।
श्री रामकृष्ण परमहंस को अपना गुरु बनाया।
ऊंचे कुल में जन्मा फिर भी छुआ नहीं अभिमान।
लाल मिला यह भारत मां को बनकर पुत्र महान।
भोग विलास ना जिसको भाया सेवा का व्रत धारा।
सन्यासी योगी बन जिसने जीवन पूर्ण गुजारा।
भारत,भारत के जन के उत्थान को लक्ष्य बनाया।
घूम घूमकर देश-विदेश में संस्कृति ध्वज फहराया।
दीन हीन जन की सेवा को जिसने पूजा माना।
उसे विवेकानंद नाम से सारे जग ने जाना।
चार जुलाई सन उन्नीस सौ दो को स्वर्ग सिधारे।
चालीस वर्ष से कम वय में थे जग के बने सितारे।
सोया भारत पुन: जगाया स्वाभिमान लहराया।
जगतगुरु भारत के सुत को सबने शीश नमाया।