सोमवार, 3 फ़रवरी 2020

मेरा भारत देश महान

      मेरा भारत देश महान
 
मेरा भारत देश महान
नारी है इसकी आन 
संस्कृति है इसकी पहचान
बच्चें है इसकी शान

मेरा भारत देश महान
दुश्मन है इसकी शक्ति अनजान
कोई शक्ति न इसके समान
भारत ने छू लिया है आसमान
भारत है मेरी जान
मेरा भारत देश महान


मेरा भारत देश महान
शिवा प्रताप जैसे वीर महान
हे भारत मां की संतान
जिन्होंने भारत के मान सम्मान
के लिए समर्पित की अपनी जान



साक्षर भारत

         साक्षर भारत
हर दिल में नारी के लिए सम्मान होता
हरमन में गौ माता के लिए मान होता
हर एक व्यक्ति भारत की शान होता
भारत का प्रत्येक नागरिक पढ़ा लिखा होता
तो ऐसा मेरा भारत देश होता
माता के लिए सम्मान हर दिल में होता
हर भाई मैं बहन के लिए प्यार होता
सेवा ही व्यक्ति जीवन का आधार होता है
भारत का प्रत्येक नागरिक पढ़ा लिखा होता
तो ऐसा मेरा भारत देश होता
भारत के लिए हर दिल में प्यार होता
हर एक व्यक्ति आसमान को छूता
भारत में कोई भूखा न सोता
कोई बच्चा खाने के लिए ना रोता है
भारत का प्रत्येक नागरिक पढ़ा लिखा
तो ऐसा मेरा भारत देश है

गुरु

                  गुरु


परमात्मा से मिलने का आधार
जीवन का सार होते हैं गुरु
माता-पिता भगवान का अवतार
ज्ञान का सागर होते हैं गुरु
जीवन के अंधकार को मिटाकर
प्रकाश की किरण दिखाते हैं गुरु
ज्ञान रूपी पर लगा कर
हमें उड़ना सिखाते हैं गुरु
जीवन हमारा है कोरा कागज
ज्ञान से उसे सजाते हैं गुरु
खुशियों में उत्सव मना कर
दुखों में भी हंसना सिखाते हैं गुरु
संभव नहीं दुनिया में आगे बढ़ पाना
बिन गुरु सफलता की सीढ़ी चढ़ पाना
हमारी जीत का आधार होते हैं गुरु
जीवन का सार होते हैं गुरु

स्वामी विवेकानंद

          *स्वामी विवेकानंद*

जन्म अट्ठारह सौ तिरेसठ की बारह जनवरी को पाया।
विश्वनाथ दत्त जी के घर बेटा बनकर वह आया।
माता भुवनेश्वरी देवी थी जन्म नाम था नरेंद्र धराया।
श्री रामकृष्ण परमहंस को अपना गुरु बनाया।
ऊंचे कुल में जन्मा फिर भी छुआ नहीं अभिमान।
लाल मिला यह भारत मां को बनकर पुत्र महान।
भोग विलास ना जिसको भाया सेवा का व्रत धारा।
सन्यासी योगी बन जिसने जीवन पूर्ण गुजारा।
भारत,भारत के जन के उत्थान को लक्ष्य बनाया।
घूम घूमकर देश-विदेश में संस्कृति ध्वज फहराया।
दीन हीन जन की सेवा को जिसने पूजा माना।
उसे विवेकानंद नाम से सारे जग ने जाना।
चार जुलाई सन उन्नीस सौ दो को स्वर्ग सिधारे।
चालीस वर्ष से कम वय में थे जग के बने सितारे।
सोया भारत पुन: जगाया स्वाभिमान लहराया।
जगतगुरु भारत के सुत को सबने शीश नमाया।